Class 10th History Chapter 1 Hindi Notes
यूरोप में राष्टवाद का उदय
Class 10 History
हिंदी नोट्स
जनता की प्रतिक्रिया: इस नई आजादी का किसानों, कारीगरों और कामगारों ने जमकर स्वागत किया। उन्हें समझ आ गया था कि एक समान कानून और मानक मापन पद्धति और एक साझा मुद्रा से देश के विभिन्न क्षेत्रों में सामान और मुद्रा के आदान प्रदान में बड़ी सहूलियत मिलने वाली थी।
लेकिन जिन इलाकों पर फ्रांस ने कब्जा जमाया था, वहाँ के लोगों की फ्रांसीसी शासन के बारे में मिली जुली प्रतिक्रिया थी। शुरु में तो फ्रांस की सेना को आजादी के दूत के रूप में देखा गया। लेकिन जल्दी ही लोगों की समझ में आ गया कि इस नई शासन व्यवस्था से राजनैतिक स्वतंत्रता की उम्मीद नहीं की जा सकती थी। नेपोलियन द्वारा लाए गए प्रशासनिक बदलावों की तुलना में टैक्स में भारी बढ़ोतरी और फ्रांस की सेना में जबरदस्ती भर्ती अधिक भारी लगने लगे। इस तरह से शुरुआती जोश जल्दी ही विरोध में बदलने लगा।
क्रांति के पहले की स्थिति: अठाहरवीं सदी के मध्यकालीन यूरोप में वैसे राष्ट्र नहीं हुआ करते थे जैसा कि हम आज जानते और समझते हैं। आधुनिक जर्मनी, इटली और स्विट्जरलैंड कई सूबों, प्रांतों और साम्राज्यों में बँटे हुए थे। हर शासक का अपना स्वतंत्र इलाका हुआ करता था। पूर्वी और मध्य यूरोप में शक्तिशाली राजाओं के अधीन विभिन्न प्रकार के लोग रहते थे। उन लोगों की कोई साझा पहचान नहीं होती थी। किसी एक खास शासक के प्रति समर्पण ही उनमें कोई समानता की पुष्टि करता था।[post_ads_2]
राष्ट्रों के उदय के कारण और प्रक्रिया
अभिजात वर्ग : उस महाद्वीप में जमीन से संपन्न कुलीन वर्ग ही सदा से सामाजिक और राजनैतिक तौर पर प्रभावशाली हुआ करता था। उस वर्ग के लोगों की जीवन शैली एक जैसी होती थी चाहे वे किसी भी क्षेत्र में रह रहे हों। शायद यही जीवन शैली उन्हें एक धागे में पिरोकर रखती थी। ग्रामीण इलाकों में उनकी जागीरें हुआ करती थीं और शहरी इलाकों में आलीशान बंगले। अपनी एक खास पहचान बनाए रखने और कूटनीति के उद्देश्य से वे फ्रेंच भाषा बोला करते थे। उनके परिवारों में संबंध बनाए रखने के लिए शादियाँ भी हुआ करती थीं। लेकिन सत्ता से संपन्न यह अभिजात वर्ग संख्या की दृष्टि से बहुत छोटा था। जनसंख्या का अधिकांश हिस्सा किसानों से बना हुआ था। पश्चिम में ज्यादातर जमीन पर काश्तकारों और छोटे किसानों द्वारा खेती की जाती थी। दूसरी ओर, पूर्वी और केंद्रीय यूरोप में बड़ी-बड़ी जागीरें हुआ करती थीं जहाँ दासों से काम लिया जाता था।
मध्यम वर्ग का उदय: पश्चिमी यूरोप और केंद्रीय यूरोप के कुछ भागों में उद्योग धंधे बढ़ने लगे थे। इससे शहरों का विकास होने लगा; जहाँ एक नए व्यावसायिक वर्ग का उदय हुआ। बाजार के लिए उत्पादन की मंशा के कारण इस नए वर्ग का जन्म हुआ था। इससे समाज में नए समूहों और वर्गों का जन्म होने लगा। इस नए सामाजिक वर्ग में एक वर्ग कामगारों का हुआ करता था और दूसरा मध्यम वर्ग का। उद्योगपति, वयवसायी और व्यापारी; उस मध्यम वर्ग का मुख्य हिस्सा थे। इसी वर्ग ने राष्ट्रीय एकता की भावना को एक रूप प्रदान किया।
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